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श्री राम कथा का 7वां दिन: राजकुमार से वनवासी वल्कलधारी हुए राघव… सिया, राम और लखन का वन गमन

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चले राम लखि अवध अनाथा, नगर लोग सब लागे साथा

राज सिंहासन छोड़कर, रखा मां का मान, वन गमन को निकल गए, सिया, लखन, अरु राम

लखीमपुर खीरी: श्री राम कथा अमृत महोत्सव में प्रभु श्री राम के जीवन चरित की कथा का रसपान करते राम भक्त निहाल हो रहे हैं। प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में लोग कथा पंडाल में खिंचे चले आ रहे हैं। लोगों ने अभी तक श्री राम और उनके भाईयो का जन्म, फिर आचार्य के पास शिक्षा, दीक्षा और उसके उपरांत विवाह प्रसंग सुना और जीवंत अहसास किया।

          श्रावण मास में श्री राम कथा अमृत महोत्सव में श्री राम कथा का आनंद लेते भक्त

फिर 7वें दिन प्रभु श्री राम का माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ वन गमन लोगों के रोम रोम करुणा का संचार कर गया। श्री राम का जीवन चरित सिर्फ कोई कथा कहानी नहीं है, जीवन का दर्शन है। जीवन का परिमाण है। मनुष्य जीवन का सार्थकता का सार है। मानुषिक इच्छाओं का त्यागकर कैसे सर्व संसार का आलिंगन किया जा सकता है। कैसे स्वार्थ से ऊपर उठकर जीवन को धर्म के लिए समर्पित किया जा सकता है। ऐसे कई प्रसंग हैं, जो जीवनशैली को सही दिशा में ले जाने की सीख देते हैं।

    चले राम लखि अवध अनाथा, नगर लोग सब लागे साथा ।
   लागत अवधि भयावनि भारी, मानहु काल राति अंधियारी ।

कथा व्यास रमेश भाई शुक्ला ने श्री राम कथा के दौरान प्रभु श्री राम के वन गमन का प्रसंग सुनाते हुए बताया कि प्रभु श्री राम का जहां राज्याभिषेक होने वाला था, वहां उन्हें वनवास हो गया। लेकिन प्रभु श्रीराम ने इसे स्वयं सहर्ष स्वीकारा, ये सोचकर उनके पूर्व जन्म के कोई पुण्य उदय हुए हैं, जिससे उन्हें साधु संतो के दर्शन मिलेंगे। राज्य का सुख छोड़कर व परित्राणाय साधुनाम विनाशाय च दुष्कृताम् के लिए वन जाने को तैयार हो गए जिसके लिए ही उन्होंने अवतार लिया था।

                         श्री राम कथा का आनंद लेते भक्त

श्री राम कथा के सातवें दिन सजे हुए भव्य पंडाल में आरती के बाद कथा व्यास ने अपनी कथा शुरू की। इस दौरान पूरे पंडाल में जय श्री राम के जयकारों का उद्घोष रोम रोम को, कण-कण को राममय बना रहा था। रमेश भाई शुक्ल कथा व्यास ने बताया कि भगवान जब भी अवतार लेते हैं। अपने भक्तों का कल्याण करते हैं, इसके लिए भगवान स्वयं कष्ट भी झेलते हैं, प्रभु श्रीराम का जीवन हमें इसी बात का दर्शन कराता है साथ ही इस बात की प्रेरणा देता है कि जीवन में सुख समृद्धि विलासिता महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि लोक कल्याण, लोकमंगल की भावना महत्वपूर्ण है। ऐसी भावना और सोच के सामने कोई भी कष्ट बड़ा नहीं है।

हजारों की संख्या में भक्तों से खचाखच भरे पंडाल में कथा व्यास रमेश भाई शुक्ला ने बताया कि-

व्यास पीठ पर कथा वाचक रमेश भाई शुक्ल जी

सीता सचिव सहित दोउ भाई। सृंगबेरपुर पहुँचे जाई॥
उतरे राम देवसरि देखी। कीन्ह दंडवत हरषु बिसेषी॥

सीता जी और मंत्री सुमन्त समेत दोनों भाई श्रृंगबेरपुर पहुंचते हैं। जहां गंगा जी को देखकर श्रीराम रथ से उतर कर, बड़े हर्ष के साथ दंडवत प्रणाम करते हैं। अनेकानेक कथा प्रसंग कहते हुए प्रभु श्रीराम गंगा जी की तरंगों को देख रहे हैं। मंत्री आर्य सुमंत, छोटे भाई लक्ष्मण और सीता जी को देव नदी गंगा जी की महिमा सुनाते हैं।

कहि-कहि कोटिक कथा प्रसंगा, राम बिलोकहिं गंग तरंगा।

श्री राम कथा के 7वें दिन प्रभु श्रीराम की आरती करने वालो में प्रमुख रूप से ज्ञान स्वरूप शुक्ला, आचार्य संजय मिश्र, राम पाण्डेय, सूर्य मणि मिश्र, विधायक योगेश वर्मा, राजू अग्रवाल, प्रमोद अग्रवाल, रवी गर्ग, कन्हैया धवन, अजय भल्ला, भगवती अग्रवाल विनोद चोपड़ा, धर्म चंद जैन, संजय अग्रवाल, आशीष अग्रवाल, गोपी गुप्ता, संदीप मिश्रा , युवराज शेखर, देवव्रत पांडेय, निजम शुक्ला, डॉ. डी एन मालपानी, शिवकांत मिश्रा और कपिल श्रीवास्तव शामिल रहे।

जबकि महिला मंडल से श्वेता अग्रवाल, रति शेखर, रूपाली शेखर, अनीता शेखर, संगीता शेखर, रितु अग्रवाल, अंजीता गर्ग, ऋचा अग्रवाल, रीना शर्मा, आरती अग्रवाल, संगीता अग्रवाल, रश्मि महिंद्रा, कविता शेखर, गरिमा पोद्दार, चंचल अग्रवाल, गुंजन अग्रवाल, मधु अग्रवाल, लता अग्रवाल, निधि अग्रवाल, नीरज मिश्रा, दिव्या शर्मा, उमा पोद्दार आदि शामिल रहे।

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